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पत्थर दिल सनम

Manisha Singh Raghav
Manisha Singh Raghav
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जहाँ स्त्रियाँ कोमल ह्दय वाली कही जाती है वहीं पुरुषों को पत्थर दिल की संज्ञा दी जाती है । पुरुष भावुकता से परे होते हैं ऐसा सभी औरतें सोचती हैं । कहते हैं पुरुष मन से ही नहीं बल्कि शारीरिक रूप से भी मजबूत होते हैं । मैंने आज तक किसी भी पुरुष को रोते हुए नहीं देखा चाहे वह कितनी भी मानसिक यातनाओं में गुजर रहा हो । हाँ कुछ बुजदिल होते हैं जो परेशानियों से घबराकर ख़ुदकुशी जैसे कदम उठा लेते हैं । जहाँ नारियाँ दूसरों के सामने रो गाकर सभी की सहानुभूति बटोरने में कामयाब हो जाती हैं वहीं पुरुष अपनी दुःख तकलीफ ,परेशानियों को दिल में ही समा लेते हैं शायद यही वजह है कि सभी पुरुषों को पत्थर दिल समझा जाता है । क्या पुरुष वाकई पत्थर दिल होते हैं ? क्या वे भावुक हीन होते हैं?
नहीं वे भावुकहीन नहीं होते । स्त्रियों की तरह पुरुष भी इन्सान होते हैं । उन्हें भी अच्छा और बुरा लगता है । हँसना रोना इन्सान की ही नहीं बल्कि जानवरों की भी सामान्य प्रक्रति है । हँसने और रोने की तरह नाराज होना दुखी होना भी एक सामान्य प्रक्रिया है जिसमें पुरुष भी शामिल हैं । पुरुष के द्वारा भावुकता व्यक्त न करने की वजह से वे ” इमोशनल फूल ” समझे जाते हैं । सवाल यह उठता है कि आख़िरकार पुरुष अपनी भावनाएं क्यों नहीं व्यक्त कर पाता ? वह किसी के द्वारा दिए गये दुःख को अंदर ही अंदर क्यों पी जाता है ?
एक बार मैं अपनी सहेली के घर गयी । उसके दोनों बच्चों में किसी खिलौने के ऊपर लड़ाई होने लगी उसकी बच्ची द्वारा खिलौना छीने जाने पर उसके लड़के ने रोना शुरू कर दिया । वह उठी और अपने लडके को डांटती हुई बोली ” कैसे लडके हो जो जरा सी बात पर लडकियों की तरह रोना शुरू कर देते हो । लडके थोड़े ही रोते हैं ”। उसके द्वारा अपने बेटे को उलाहना दिए जाने पर मैं सोचने पर मजबूर हो गयी । हमारे समाज में लडकों को बचपन से ही यह समझाना शुरू कर देते हैं कि रोना कमजोरी की निशानी है और यह सिर्फ लडकियों का ही काम है । यही सोच बड़े होते होते उन्हें मानसिक तौर पर मजबूत कर देती है । जब मेरी शादी हुई तब मेरे पति बहुत ही गुस्सैल स्वभाव के थे लेकिन मैंने कई बार छोटी छोटी बातो पर भावुक होते भी देखा है । उनके इस व्यवहार पर कई बार हैरानी भी हुई पर मैंने महसूस किया कि ऐसे वक्त में उन्हें मेरे सहारे की सबसे ज्यादा जरूरत होती थी । उनके इस व्यवहार पर मुझे एक बात जरुर समझ आ गयी कि पुरुष भावुक तो होते हैं पर हम नारियों की समझ से परे होते हैं ।
अक्सर देखा गया है कि बेशक हमारा समाज पुरुष प्रदान है लेकिन उसके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी प्रमुख होती है अपने परिवार की जिम्मेदारियों के साथ साथ उनके नौकरी पेशे में भी अपना मजबूत स्थान बनाने का भी तनाव घेरे रहता है ज्यादातर पुरुष अपने तनाव को दूसरे से बाँट नहीं पाते इसलिए उन्हें एक अजीब सी मानसिक द्वंदता जकड़ लेती है । जहाँ पुरुष मनचले स्वभाव के होते हैं वहीँ दूसरी ओर बहुत गम्भीर स्वभाव के भी होते हैं । काफी हद तक वे प्यार जताने में स्त्रियों से पीछे ही रहते हैं । यहाँ तक कि कई पुरुष अपनी प्रेमिका या पत्नी से प्यार जताने में अपनी कमजोरी मानते हैं शायद यही वजह है कि वे अपने दिल की बात भी आसानी से नहीं कह पाते । अक्सर लडकियाँ शादी से पहले अपने होने वाले पति में एक रोमांटिक हीरो की छवि देखती हैं लेकिन शादी के बाद ज्यादातर पति गम्भीरता का मुखौटा पहने रहते हैं । इतना ही नहीं उनके मुँह से ” आइ लव यू ” शब्द भी महीनों तक नहीं निकलता । ऐसे संकोची स्वभाव वाले पुरुषों को नारियां अक्सर पत्थर दिल सनम की संज्ञा तक दे देती हैं
भावुकता का प्रदर्शन करने में सबसे बड़ा जो रोड़ा है वह है ” मेल इगो ” । जहाँ स्त्रियों में सौम्यता कूट कूट कर भरी होती है वहीँ पुरुषों में ” मेल इगो ”ज्यादा पायी जाती है । अक्सर देखा गया है कि लड़ाई झगड़े के बाद जब उन्हें यह पता चलता है कि गलती उनकी खुद की थी तो वे सॉरी कहने में भी उनकी मेल इगो सामने आ जाती है । वह बेशक बाद में मन ही मन पछताता रहे पर कहेगा कभी नहीं ।
अक्सर यह देखने में भी आता है कि हार्ट अटैक जैसी बीमारियाँ भी स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों को ज्यादातर होती हैं उसकी वजह है अपने तनाव को खुलकर व्यक्त न करना । पुरुष स्त्रियों की तरह अपने तनाव को खुलकर व्यक्त नहीं करते जिससे उनके मन के एक कोने में गुबार इकट्ठा होने लगता है और यही गुबार पुरुषों को तनावग्रस्त करता रहता है । यही वजह है कि यही तनाव ही दिल की बीमारियों की खास वजह है ।
सभी नारियों को खास तौर से मुहँफट नारियों को जो बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देती हैं उनको एक बात खासतौर से याद रखनी होगी जिस तरह से ईश्वर ने स्त्रियों की आदतें बनायी हैं । कुछ चंचल स्वभाव तो कुछ गम्भीर स्वभाव की होती हैं उसी तरह से पुरुष भी हर स्वभाव के होते हैं । पुरुष कभी भी पत्थर दिल नहीं होते उनके भी एक दिल होता है जिसमें ढेर सारा प्यार भरा होता है , भावनाएं और कोमलता भी कूट कूटकर भरी होती हैं । जरूरत है तो उनके भावों को पहचानने की , उनके दिल में झाँकने की । उनको पत्थर दिल सनम का तमगा दिए बगैर उनके भावों को परखिये । भावुक क्षणों में उनका सहारा बनिये तभी आप उनके दिल की मलिका बन पायेंगीं ।

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