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संगीतमयी दुनिया ( २१ जून वर्ल्ड म्यूजिक डे )

Manisha Singh Raghav
Manisha Singh Raghav
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सुनो, ठंडी बहती हवा , पहाड़ों से गिरते झरनें , सरसराती हुई हवा , बहती नदी की कलकल धारा , चिड़ियों का मधुर संगीत ,सूखे पत्तों से आती हुई आवाज को सुनों । तुमसे कुछ कहना चाहती है सुनों गौर से सुनो ये तुमसे क्या कहना चाह रही है ? इस प्रक्रति के मधुर संगीत को महसूस करो । जिसे सिर्फ प्रक्रति प्रेमी ही समझ सकते हैं । उस ॐ की ध्वनि को अपने अंदर महसूस करो जो आपको सकून के पल देती है । इतना ही नहीं यह संगीत सिर्फ प्रक्रति में ही नहीं बल्कि क्रत्रिम वस्तुओं में भी मिलता है । टेलेंट शो में भी बच्चों ने जितने भी व्यर्थ चीजों को वाद्य यंत्र बनाकर उसमें से मधुर स्वर निकले थे । क्या आपने कभी क्रत्रिम चीजों में संगीत के स्वरों को सुना है ? नहीं ना चलिए आज मैं आपको बताती हूँ । —–
जब मैं छोटी थी तब उस वक्त बिजली के टेबिल फेन होते थे जब वे चलते थे तब मानो कह रहे हों –” तू जो मेरे सुर में सुर मिला ले ” और हम उसकी आवाज में अपनी आवाज मिलाते थे और आआआआआ की आवाज करते थे । इसे शरारत कहें या कुछ और पर आता बहुत मजा था । जब शादी हुई बच्चे हुए तब तक पंखे की जगह कूलर ने ली और जब बच्चे बड़े हुए तब यही बात खेल खेल में एक दिन उनको भी सिखा दी । उनको ऐसा करते देखकर मुझे अपने बचपन के दिन याद आ जाते हैं । प्रक्रति हो या क्रत्रिम चीजें सभी चीजों में संगीत छिपा है बस जरूरत है तो उसे महसूस करने की । कहते है कि संगीत में बहुत ताकत होती है ।
जब बच्चा पैदा होता है तब उसे माँ के सीने की धडकन में ही संगीत महसूस करता है । जब बड़ा होता है तब नींद न आने पर माँ की लोरियाँ सुनता है पहले माँ की लोरियां थीं लेकिन अब माँ की लोरियों की जगह मोबाईल के गाने , टी . वी और डेक के गानों ने ले ली है । जब आदमी युवा होता है और जब उसे किसी से प्यार हो जाता है तब उसे पूरी दुनिया रंग बिरंगी लगती है और तो और जिसे संगीत की A B C D भी समझ नहीं आती उसका मन भी संगीत की धुन पर नाचने लगता है और उसी पूरी दुनिया संगीतमयी लगने लगती है । संगीत में मग्न होने का जादू सिर्फ इंसानों में ही नहीं मिलता अब मोर ही को ले लो । काले बादलों के संगीत का जादू मोर को भी नाचने को मजबूर कर देता है । आमों के पेड़ पर काली कोयल मतवाली होकर चहकने लगती है और चारों तरफ फैलता है कोयल का मधुर संगीत
एक बात मैं आपको बहुत मजे की बताती हूँ ——
जब हम चेन्नई में थे तब हमारे घर के फर्स्ट फ्लोर में हमारे पडौसी आये । उनकी दो बेटियाँ थीं । रात को अक्सर १०.३० , ११ बजे के करीब घुंघरू बजने की आवाजें आतीं , मैंने सोचा कि ये दक्षिणवासी न्रत्य के शौकीन होते हैं , उनकी बेटियाँ न्रत्य का अभ्यास करती होंगीं । एक दिन मेरी अपनी पडौसिन से मुलाकात हुई । ( दरअसल चेन्नई में गर्मी ज्यादा होने की वजह से ज्यादातर लोग घर के अंदर AC में ही रहते हैं ) मैंने उनसे पूँछा कि ” आपकी बेटी रात को डांस करती है ”। उन्होंने कहा ” नहीं तो मेरी बेटी को तो डांस पसंद ही नहीं ” । पर कमाल है , नीचे से तो पायल की आवाज आती है ” । रात को जब भी पायल की आवाज आती तब मैंने खिड़की के पर्दे हटाकर देखती , मुझे वहाँ कुछ भी नजर नहीं आता । कई बार तो भूतनी का भी शक होता मानो भूतनी नाच रही हो । मैंने एक बार किसी और से इसके बारे में जिक्र किया तो मेरा हैरानी से बुरा हाल था । जानते हैं वह कौन थी — वह एक कीड़ा था जब वह बोलता था तो लगता था कि कोई नाच रहा है । अजीब दुनिया है इन संगीतमयी पशु पक्षियों और कीड़े मकौडों की भी । आप अलग अलग राज्यों में जायेंगें तो आपको भ्रमित करने वाले ऐसे संगीतमयी जीवों से मुलाकात होगी ।
एक पते की बात और बताती हूँ कि संगीत हमारे जीवन में मैडिसन का भी काम करता है । यह मेरी आजमायी हुई बात है जब औरत मनोपोज की सीढ़ी पर कदम रखती है तो उसका मूड स्विंग करने लगता है और वह अपने व्यवहार से पूरे घर को परेशान करके रखती है इसमें उसकी कोई गलती नहीं होती ऐसे वक्त में संगीत उसके मूड को नियंत्रित करने का काम करता है । इस उम्र पर जो औरते खड़ी हैं वे रसोई में रेडियो ट्रांजिस्टर या टेप रिकार्डर जरुर रखें , काम करने से सबसे पहले उसे ऑन करके गाने लगा लें फिर काम करना शुरू करें और संगीत से अपने मूड को नियंत्रित करें फिर देखिये इससे उनका दिन कितना खुशगवार गुजरेगा ।
यह मेरी आजमायी हुई संगीत थैरेपी है जिस किसी को भी मैंने बताई है उसे बहुत फायदा हुआ है । अब बताइए है न संगीत में जादू । संगीत हर कण कण में बसा हुआ है बस जरूरत है तो उसे महसूस करने की फिर देखिये आप खुद को भी इस मधुर संगीत में सराबोर पायेंगें और खुश होकर कहेंगें —–
रंग गयी , मैं रंग गयी तेरे संगीत में रंग गयी
रंग गयी , रंग गयी मैं प्रक्रति के संगीत में रंग गयी

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