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ये कैसा अधिकार

Manisha Singh Raghav
Manisha Singh Raghav
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नीरज की शादी हुए महीने बीतते चले जा रहे हैं पर उसके चेहरे से हँसी और मुस्कुराहट धीरे धीरे कहीं गुम होती जा रही है , जहाँ नवविवाहितों का चेहरा फूल के समान खिला खिला रहता है वहीँ नीरज का चेहरा मुरझाया हुआ सा रहने लगा वजह पूंछने पर वह फेंकी हुई सी हँसी में टाल देता है । नीरज मेरा दोस्त , पडौसी , भाई है जो हमारी सोसाइटी की शान था उसके बिना कोई भी पार्टी सूनी सूनी रहती थी । क्या बड़े क्या छोटे सभी उसके आगे पीछे घूमते थे । अपनी हँसी मजाक से महफिल आबाद किये रहता । जिंदादिल खुशमिजाज लड़का वही अब अपनेआप को सबसे समेटने की कोशिश में लगा रहता । आजकल सोसाइटी में उसके चर्चे आम हैं । सभी अपनी अटकल पच्चू लगाते रहते हैं , कोई कहता है कि अरे अपनी बीबी से तो परेशान नहीं है , अरे भाई नयी शादी हुई है इसलिए जनाब को घर भागने की जल्दी रहती होगी । कोई कुछ तो कोई कुछ
एक दिन मैं अपने ऑफिस से दोपहर को आ रही थी । मेरा गला प्यास से सूखा हुआ था सॉफ्ट ड्रिंक पीने की इच्छा से मैंने स्कूटर खड़ा किया और रेस्तरां में चली गयी जैसे ही मैंने अंदर प्रवेश किया तो वहाँ किसी गहन मुदा में नीरज एक कोने में बैठा हुआ मिला । मैं उसके पास गयी
” हाय नीरज कैसे हो ”? मैंने चहककर कहा ।
” हाय रीना सब ठीक तो है न ” मैंने महसूस किया कि मेरी आवाज सुनकर किसी गहन निंद्रा से जागा हो ।
मैंने उससे परेशान रहने की वजह पूँछी । उसने जो कुछ उसने बताया उसे सुनकर मैं सन्न रह गयी । मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक नारी के आगे कोई मर्द इतना लाचार हो जाता होगा । नीरज की उदासी की वजह थी , उसकी पत्नी का व्यवहार , वह चाहती थी कि नीरज सीधे दफ्तर से घर आये अगर जरा सी देर हो जाती तो घर आसमान एक कर देती । कुछ दिन तो नीरज ने उसकी इस आदत को इग्नोर किया पर धीरे धीरे उसका व्यवहार उसे खलने लगा और दोनों में आये दिन लड़ाईयाँ होने लगीं ।
अधिकतर नवयुगल शुरू शुरू में ”जो तुमको हो पसंद वही बात करेंगे ” वाला जीवन जीते हैं लेकिन जैसे जैसे समय बीतता जाता है तो एक दूसरे की टोकाटाकी उन्हें खलनी लगती है । वैसे देखा जाये तो हमारे समाज में पुरुषों को कुछ ज्यादा ही आजादी पसंद और बन्धनमुक्त ख्यालों वाले होते हैं पर कुछ औरतों की आदत होती है , वह शादी के बाद अपने पति को अपनी जायदाद समझने लगती है और वह कुछ ज्यादा ही टोकाटाकी करने लगती है जो उससे बर्दाश्त नहीं होती और फिर शुरू हो जाता है मनमुटाव का सिलसिला । इस मामले में औरते कभी यह नहीं सोचतीं कि अगर कोई दूसरा उनके ऊपर अपनी इच्छा थोपेगा तो उन्हें कैसा लगेगा ? यह सब इसलिए ऐसा होता है लडकियों की सगाई होते के साथ ही उन्हें यह सीख दी जाने लगती है कि ” अपने पति को अपने बस में रखना ” । यह शाश्वत सत्य यह है कि विवाह सात जन्मों का साथ है पर इसका मतलब यह नहीं कि दोनों एक दूसरे पर अपना हुक्म चलायें और अपनी ही बात मनवाएं ।
सुनीता के पति को हल्के रंग पसंद हैं और सुनीता को चटकीले । देपेन्द्र कहते हैं कि सुनीता की पसंद सर आँखों पर , पर कभी कभी तो चलता है पर सुनीता ने तो मेरी बार्डरॉब से हल्के रंग ही खत्म कर दिए । जब भी बाजार जाती है तो मेरी पसंद तो कहीं मायने ही नहीं रखती कभी अपनी पसंद की शर्ट खरीदना चाहूँ या पहनना चाहूँ तो घर सिर पर उठा देती है । अब बताइए खीज उठेगी या नहीं इसी बात पर हमारी घर में कलह हो जाती है और मैं भी बार्डरॉब के कपड़े उठाकर फेंक देता हूँ ।
कुछ औरतों की यहाँ तक भी आदत होती है जिस शहर में पति पत्नी दोनों अकेले रहते हैं और उसी शहर में उसके सास ससुर भी रहते हैं तो पति को उसके माता पिता के पास नहीं जाने देती अगर छुपते छुपाते चला भी जाये तो पता चलने पर ऐसा घर में तूफान खड़ा कर देती है कि उसे बेशक देवता ही भले आकर मना लें पर जब तक पति अपने माता पिता के घर न जाने की कसम न खा ले तब तक उसका रोद्र रूप शांत ही नहीं होता । वह यह भूल जाती है कि उसकी शादी सिर्फ एक लडके से हुई है जो किसी का भाई है और किसी का बेटा भी । यह आदत बहुत गलत है कुछ तो आत्महत्या और कुछ पूरे परिवार को जेल भिजवाने की धमकी तक भी दे डालती हैं । ऐसे में बेचारा पति भी क्या करे ? वह माँ की सुने या पत्नी की इसी दुविधा में फंसा रहता है । ऐसा अधिकार भी किस काम का जिससे घर की सुख शांति ही खत्म हो जाये । घर की शांति के लिए सिर्फ लडकियों को ही नहीं बल्कि लडकों को भी जरूरी कदम उठाने चाहिए । ——
* पति पत्नी दोनों एक दूसरे को जरूरी छूट और आजादी देनी चाहिए ।
* एक दूसरे को प्रेम करें पर एक दूसरे को बन्धनों में न बाँधें ।
* एक दूसरे के बीच स्पेस भी जरूरी है इससे एक दूसरे के बीच प्यार बढ़ता है एक दूसरे के दोस्तों से मिलने जुलने दें सिर्फ वही उक्ति न अपनाएं कि मेरा पति सिर्फ मेरा है ।
* एक दूसरे पर अपनी इच्छाएं न थोपें । एक दूसरे की इच्छाओं व् रुचियों का सम्मान करें और उन्हें आगे बढने के लिए प्रोत्साहित करें ।
* सिर्फ अपनी ही बात मनवाने की जिद न करें जिद की बजाय बात को नम्रता और संवेदनशीलता से काम लें ।
* एक दूसरे की हाँ में हाँ और ना में ना वाला ही भाव न अपनाएं सही को सही गलत को गलत भी कहना सीखें ।
* एक दूसरे के रिश्तेदारों का सम्मान करें ।
* ”मेरा उन पर पूरा हक़ है इसलिए जैसा मैं चाहूंगी वैसा ही वे करेंगें ” ऐसा भाव दिल से निकाल दें और यही बात पति पर भी लागू होती है वह आपका जीवन साथी है गुलाम नहीं अगर वह आपकी हर बात बेमन से मान रहा है , रही है तो यह कदापि न समझें कि वह आपके सामने झुक गया है , गयी है वह ऐसा इसलिए कर रहा है क्योकि वह घर की शांति चाहता है या चाहती है । आपको अपने जीवन साथी की आदत का फायदा नहीं उठाना है ।
* अगर आपके अंदर क्रोध बहुत है तो अगर आप उसे खत्म नहीं कर सकते तो काबू जरुर करें यह नहीं भूलें आपका बार बार ऐसा करना आपके जीवन साथी का दिल दुखा रहा है जो अप्रिय स्थिति को खड़ा कर देता है ।
कहने का अभिप्राय यह है कि एक दूसरे की इच्छाओं का सम्मान करना ही घर में सुख शांति ला सकता है । याद रखें आपका जीवनसाथी आपका गुलाम नहीं है । वह भी इन्सान है उसकी भी कुछ पसंद नापसंद है वह भी अपनी इच्छाओं के साथ जीना चाहता है जैसे की आप
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