- 66 Posts
- 89 Comments
” इधर कुआँ उधर खाई ” यह कहावत कभी हमारे देश की जनता पर लागू होगी यह कभी किसी ने नहीं सोचा होगा . ” कहो कुपोषण भारत छोडो ” का नारा लगाने या लगवाने वाले सिने अभिनेता आमिर खान को भी यह अंदेशा नहीं होगा कि यह नारा उनके लिए क्या गरीब जनता के लिए भी गले की हड्डी बन जायेगा . जिसे न तो निगला ही जायेगा न ही उगला ही जायेगा . जी हाँ मैं बात कर रही हूँ – अभी हाल ही में ज्वलंत खबर ” मिड डे मिल से हुई २३ बच्चों की मौत ” . अब सवाल यह उठता है कि क्या अब सरकार या नेतागण समाचार पत्रों में और मीडिया में दुःख प्रकट करके खामोश बैठ जायेंगें या कुछ करेगें भी ? क्या जनता अपना क्रोध वाहनों पर उतारकर शांत होकर बैठ जाएगी या फिर एक और ऐसे हादसे होने का इंतजार करेगी जैसे दामिनी के वक्त किया था फ़िलहाल जो भी है जो भी हुआ बहुत बुरा हुआ जिस किसी ने भी ये घ्रणित कार्य किया अच्छा नहीं किया . इसमें किसका दोष है अभी यह कहना मुश्किल है . इससे पहले हमें एक बात समझनी होगी —
कभी सोने की चिड़िया कहलाया जाने वाला देश भारत , मुगलों द्वारा लूट लिया गया उस वक्त हमारा देश गरीब हो गया , उसके बाद साल दर साल गुजरते गये और हमारा देश तरक्की कर करके आज विश्व के अग्रणी देशों में गिना जाता है . यह बेशक दुनिया की नजरों में बहुत बड़ी बात है लेकिन सच्चाई क्या है यह समझने वाली बात है ? मेरी निगाह में भारत कल भी गरीब था और आज भी गरीब है . कैसे चलिए हम आपको बताते हैं ? इससे पहले मैं आपको एक छोटी सी घटना पर आप सभी का ध्यान आकर्षित करवाना चाहूँगी . —-
मेरी चाची जो कालिज में प्रिंसिपल थीं . उनका मायके वाले जमींदार थे . कभी उनके मायके में शान शौकत सब कुछ हुआ करती थी . लेकिन आज उनके इकलौते भाई और उसके परिवार वालों को गरीबी झेलनी पड़ रही है . वह अक्सर मेरी चाची से रुपयों पैसों की मदद माँगने चला आता है . मेरे चाचा जी हाँलाकि इसके सख्त खिलाफ थे . उनका कहना था कि मदद करने से कुछ नहीं होने वाला लेकिन मेरी चाची को यह बात समझ में नहीं आती थी . उनके ऊपर हर वक्त सहायता करने का भूत सवार रहता कमा जो रहीं थीं. लेकिन हैरानी की बात यह थी कि उनका भाई पहले भी गरीब था और जब वह उनकी सहायता कर रही थीं तब भी गरीब रहा . गरीबी थी कि पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी . और उसकी वजह थी काम को नौकरों पर छोड़कर खुद नेतागिरी में लगे रहना . मनों आलू सड़ सड़ जाता था . जब चाचा जी का स्वर्गवास हो गया तब चाची जी का भी हाथ तंग रहने लगा तब चाची जी से भी मदद मिलनी बंद हो गयी तो अब देखो उनका भाई आज अमीरों की श्रेणी में खड़ा है . अपना कारोबार नौकरों के ऊपर न छोडकर खुद अपना कारोबार चला रहा है .
यही बात अपने देश के नेतागण और अधिकारियोंपर भी लागू होती है . इस मिल डे में लापरवाही इस बात का सबूत है कि नेतागण काम अधिकारियों पर सौपकर निश्चिंत हो जाते हैं और अधिकारी गण कर्मचरियों पर उस पर निगरानी रखने की किसी को जरूरत ही नहीं . लोगों ने सलाह दी है कि मिल डे में बंद पैकिट वाला खाना दिया जाना चाहिए अब जरा इन समझदार लोगों से पूँछा जाये कि यह पैकिट वाला खाना कितना कीमती पड़ेगा ? पैकिट बंद खाने में उसे प्रिज्रव् करने के लिए न जाने कितने रासायनिक तत्वों का प्रयोग होता है जो बच्चों की हेल्थ के लिए सबसे ज्यादा नुकसान दायक है फिर बताइए भारत कैसे कुपोषण रहित होगा क्या सिर्फ नारे लगाने भर से ही ?
भारतीय बन्दरगाहों पर ही नहीं बल्कि FDI के गोदामों के बाहर भी बारिश के पानी से अनाज आपको सड़ता हुआ मिलेगा . सारे आने जाने वालों को दिखायी देगा पर वहाँ के अधिकारीगण और कर्मचारियों को नहीं दिखाई देगा . आखिर क्यों ? क्या गोदामों में अनाज इतना भरा पड़ा है कि उस अनाज को रखने तक की जगह नहीं है . अगर हाँ तो फिर आप उस अनाज को गरीबों तक क्यों नहीं पहुँचा पा रहे फिर अनाज को बाहर के देशों से क्यों मँगवाया जा रहा है ? अगर नहीं तो फिर ये लापरवाही की हद नहीं तो फिर और क्या है ? तो फिर एक बात बताइए फिर देश कैसे अमीर होगा ? वह तो गरीब का गरीब ही रहेगा न अपने देश में गेंहूँ पड़ा सड रहा है और दूसरे देशों से निर्यात होता है . तो फिर बताइए गरीबी कैसे दूर होगी और कैसे कुपोषण दूर होगा ?
अब आती हूँ असली मुद्दे पर आखिर जनता करे तो क्या करे ? अगर गरीब जनता अपने बच्चों को मिल डे खिलाती है तो बच्चे मौत का शिकार होते हैं अगर नहीं तो कुपोषण का शिकार होते हैं . आखिर गरीब जनता जाये तो जाये कहाँ ? नेताओं को अपना उल्लू सीधा करने से फुरसत नहीं और अधिकारियों को पेट भरने से , नेता भी मस्त और अधिकारी भी मस्त गरीब जनता बीमार पड़े तो पड़े मरे तो मरे उनकी बला से
अगर देश के यही हालात रहे तो हमारा देश गरीब था गरीब है और गरीब ही रहेगा जब तक ये नेतागण और अधिकारीगण अपनी आँख मूंदे बैठे रहेंगें तब तक भारत विश्व के अमीर देशों में शामिल नहीं हो सकता बस ऐसे देश को तो राम भरोसे ही छोड़ दिया जाये तो कहीं ज्यादा अच्छा है . वैसे भी इन नेतागण से तो उम्मीद करनी ही बेकार है वे सिर्फ अपनी विरोधी पार्टी पर छींटाकसी ही कर सकते हैं और कुछ नहीं
Read Comments