Menu
blogid : 12062 postid : 581210

अंतर्मन की आवाज

Manisha Singh Raghav
Manisha Singh Raghav
  • 66 Posts
  • 89 Comments

भारत के नागरिकों तुम किसी सेना के जवान या सेना पदाधिकारी के शहीद होने पर चंद घडी दुःख प्रकट करके भूल जाते हो . क्या तुमने कभी उस पल शहीद की विधवा वीर नारी के दिल की अंतर्मन की आवाज सुनी है कि उस वीर नारी के दिल में किस तरह का अंतरद्वंद चल रहा होता है , जब वह १५ अगस्त या २६ जनवरी के अवसर पर मरणोपरान्त अपने पति का पदक लेने मंच पर जाती है . नहीं न तो सुनो और महसूस करो उसके दिल के जज्बात इस कविता के जरिये .
मेरे कदम मंच की ओर , यंत्रवत बढ़ते जा रहे हैं सुनो , वो तुम्हारी शहादत की गाथा दोहरा रहे हैं
तालियों के बीच हाथ में पदक लिए खड़ी हूँ ,तुम्हारी मौत को एक बार फिर से जी रही हूँ
और वीर सैनिक की पत्नी कहलायी जा रही हूँ , मगर मैं वीर नहीं हूँ , कैसे बताऊँ सबको
रात की तन्हाई में मुझे डराती है , बच्चों की परवरिश , बच्चों की नौकरी , भविष्य की चिंता में नींद नहीं आती है
क्या तुम कभी वापस नहीं आओगे , अपने बच्चों का जन्मदिन कभी नहीं मनाओगे
तुम्हारा फोन , तुम्हारा इंतजार वो प्यार भरी बातें और वो मीठी सी तकरार
सब खत्म हो गया है वो प्यारा संसार
तुम अगले महीने छुट्टी पर आओगे , यूनिट के शहर के किस्से तुम सुनाओगे
तुम सुन सकते हो तो बताओ क्या करूं मैं इस पदक और प्रमाणपत्र का
तुम्हारे ना होने का प्रमाण हैं ये , मेरे सीने में सच के भेदते सच के बाण हैं ये
तुम्हारे बलिदान पर सबको नतमस्तक देखकर , कभी गर्व तो कभी दुःख का उठ रहा तूफान है
अंतर्मन में विचारों का उठ रहा उफान है
जंग की जीत में भी हार है , युद्ध तो केवल मौत का व्यापार है
फिर क्यों लड़ते हैं हम खैर मन को समझाना होगा , तुम्हें खोकर भी अपनेआप को पाना होगा
इस पल बहुत डर लग रहा है , कैसे कटेगा जीवन यही लग रहा है
बच्चों का तो बचपन यौवन होगा , उनका फिर अपना जीवन होगा
मेरा अकेलापन बुढ़ापे में कटेगा
ये पदक बार बार अकेलेपन का एहसास करा रहा है , तुम होते तो इस पदक के कुछ मायने होते
तुम्हारे बिना इसका भला क्या मूल्य , तुम्हारी मौत कीमती हमारा जीवन तुल्य
मुझे न पैसे की भूख है न मुझे यश से प्यार है , जरूरी है तो बस तुम्हारे होने का अहसास है
तुम्हें जब जरा सी खरोंच भी लगती थी , उसे देखकर मेरी जान निकलती थी
यह सोचकर मैं कसमसा जाती हूँ , गोली लगी होगी तो कितना तडपे होगे तुम
दर्द का यह अहसास दिला जाते हो तुम ,
जिस गोली ने तुम्हारे सीने को भेदा था , तुम्हारे साथ हमारे भविष्य को भी ढेर किया था
तुम्हारे साथ मेरे सपने सब कुछ शहीद हो गये , वो हंसी पल बस सपने हो गये
पर मेरी और तुम्हारी शहादत में अंतर है बस यही , तुम्हारे लिए युद्ध खत्म और मेरे जीवन का संग्राम निरंतर …….

Read Comments

    Post a comment