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जिन्दगी एक पहेली ( सत्य घटना पर आधारित कहानी ) भाग १

Manisha Singh Raghav
Manisha Singh Raghav
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दरवाजे की जैसे ही घंटी बजी , सोते हुए से उठकर घड़ी की तरफ अनमना कर देखा दोपहर के ३.३० का वक्त हुआ था . मैं अलसायी सी पैरों मैं चप्पल डालकर दरवाजे की तरफ बड़ी सोच रही थी कि जोर से डांट मरूंगी इन बेचने वालों को यह कोई वक्त है आने का . जब दरवाजा खोला तो दरवाजे पर दो आया खड़ी हुईं थीं .
” नमस्ते मैम साहब जी आया लायी हूँ कमरे के लिए , आपने आया के लिए कहा था न ” .
” हाँ ” मैंने देखा कि एक गेंहुए रंग की पतली दुबली सी हाथ में सोने की चार चूडियाँ उनके बीच में काँच की लाल रंग की चूड़ियाँ और पैरों में बिछुवे पहने हुए नीचे निगाह किये खड़ी हुई थी . एक पल तो मुझे लगा यह भला आया कैसे हो सकती है यह तो कोई सभ्रांत परिवार की कोई महिला लग रही थी ? खैर जो भी हो .
” क्या नाम है तुम्हारा काम हो जायेगा तुमसे ” न जाने कैसे मेरे मुँह से अचानक से निकल गया .
” जी , निशा नाम है मेरा ”
” कितने लोग हैं कमरे में ज्यादा लोग रखने की इजाजत नहीं हैं . ” मैंने भी थोड़े नखरे करते हुए कहा .
” जी सिर्फ दो लडके हैं ”
” और पति ”
” जी , कहकर वह चुप हो गयी . उसकी आँखों में आँसू भर आये .
” कमरे की सख्त जरूरत है जितना काम कहेगीं सारा काम करूँगीं पास नहीं है मेरे पास आप प्लीज मुझे कमरा दे दीजिये ” . कहकर उसने सर झुका लिया .
अच्छा ठीक है ले आओ सामान अपना कमरे की साफ सफाई कर लो ” मैंने ज्यादा बिना पूंछताछ किये उसे सर्वेंट क्वाटर दे दिया . दरवाजा बंद करके मैं अंदर चली गयी . मैं भी परेशान हो गयी थी जब से मेरे पति की पोस्टिंग लखनऊ आई और हमें घर मिला तब से मानो आया लोगों का तो अकाल ही पड़ गया . घर का काम करने की अब मुझमें हिम्मत नहीं थी . शाम तक मेरा पूरा बदन टूटने लगता . बड़ी मुश्किल से यह आया मिली है इसे मैं अपने हाथ से जाने देना नहीं चाहती थी .
शाम के करीब ५ बजे मैं अपनी बालकोनी में खड़ी हुई सडक का नजारा ले रही थी , तभी मैंने देखा कि एक लड़का उम्र १४ साल के करीब एक हाथ में बड़ा सा सिन्थ्साइजर और दूसरे हाथ में स्टैंड लिए चला आ रहा है और दूसरा लड़का सूटकेस . और वह खुद ग्रहस्थी का सामान लिए हुए चली आ रही थी .

” ये सिन्थ्साइजर किसका है कौन बजाता है इसे ”? मैंने लडके से पूँछा मेरी उत्सुकता खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी . संगीत की मैं बहुत शौकीन हूँ .

” नमस्ते आंटी , जी हमारा आंटी मम्मी बजाती हैं . लडके ने बड़ी सभ्यता से कहा
. वह मेरे कमरे पर आ गयी . काम अच्छा करती थी सब उसे हिरोइन कहते क्योकि वह सब आया से सबसे अगल दिखाई देती . काम से मैं उसके बहुत खुश थी एकदम साफसुथरा काम , कोई शिकायत नहीं . पर उसके बारे में कई अफवाहें फैली हुई थीं जैसे कि वह देर रात तक बाहर रहती है , देर से वापस आती है और वगैहरा वगैहरा . खैर मुझे इन सब से क्या मेरा काम अच्छा हो रहा है और मुझे क्या चाहिए ? वैसे तीनों माँ , बेटे बहुत ही मेहनती थे . एक बेटा सुबह ही सुबह अख़बार बांटता , दूसरा आफिसर के गार्डन में झाड़ू लगाता और आफिसर्स की कारें धोता .
एक दिन मैंने उससे चाय पीते हुए पूँछा ” निशा तेरा आदमी कहाँ रहता है ” मुझे लगा उसकी दुखती रग पर मनो हाथ रख दिया .
” मैम साहब जी मेरी आपसे हाथ जोडकर प्रार्थना है , आप मेरे पति के बारे में कुछ भी मत पूंछिये . ” उसकी आँखों में आंसू भर आये . वह हाथ जोडकर बोली .
मुझे क्या , मुझे तो काम से मतलब है . एक बार मैं अपने परिचित की शादी में गयी . बहुत ही सुरीली आवाज सुनकर मैं उस तरफ बढ़ गयी . जैसे कि आजकल शादी विवाह में फ़िल्मी गीत , गजल गववाने का फैशन सा हो गया है , देखा तो वहाँ निशा गा रही थी मैं दूर खड़ी उसके गाने का आनन्द लेती रही . कुछ दिन बाद मुझे लखनऊ रेस कोर्स के एक फंक्शन में जाने का मौका मिला वहां मैंने निशा को ग्रुप के साथ सिन्थ्साइजर बजाते हुए सुना गजब का बजाती थी वो , एक औरत में इतने सारे गुण हो सकते हैं यह तो मैंने कभी सोचा भी नहीं था .
एक महीने की हम छुट्टी चले गये जब लौटकर आये तब शाम को मैं अपनी छत पर घूम रही थी तो मैं नीचे सर्वेंट क्वाटर की तरफ झाँकने लगी . वहाँ जो भी कुछ देखा मैं देखकर हैरान रह गयी . ऐसा लग रहा था कि मैं किसी खूबसूरत बगीचे में खड़ी हुई हूँ . दोनों तरफ सब्जी बोयी हुई थी और उसके चारों तरफ फूलों की क्यारियाँ , बीच में पगडंडी . सरे सर्वेंट क्वाटर में सबसे खूबसूरत और साफ सुथरा क्वाटर . उसके दरवाजे के एक ओर चूल्हा बना हुआ था . मेरे से रहा नहीं गया और मैं नीचे सर्वेंट क्वाटर की की तरफ चल दी . वहाँ उसके कमरे में चटाई बिछी हुई थी जिस पर दोनों बेटे बैठकर पढ़ रहे थे और एक कोने में स्टैंड पर सिंथ्साइजर रखा हुआ था , ज्यादा सामान नहीं था बस जरूरत भर का था . वे दोनों मुझे देखकर खड़े हो गये . विश किया .
” बेटे तुम दोनों पढ़ते हो ”
”जी आंटी ”
” कौन सी क्लास में ”
” जी 9th ”
मुझे पहली बार मालूम हुआ कि वे दोनों जुड्वें हैं .
” तुम्हारा सिर्फ इतना ही सामान है ”. जबाब में दोनों ने सिर नीचे झुका लिया .
” अच्छा मम्मी कहाँ है ”?
” जी वे स्कूल में बच्चों को कैसिओ सिखाने जाती हैं .”
मैं ऊपर चली आई एक शाम को जब मैं अपने पति के साथ शाम की सैर करने के लिए गयी और जब वापस आयी वह शाम मेरे लिए जोरदार धमाके वाली थी .
” राकेश मीनू कहाँ है ” ? मेरे पति ने हैल्पर से पूँछा जो मोबाइल पर बात कर रहा था .
” साहब मीनू बेबी को तो आया ले गयी है वह छत से गिर पड़ी थी . ”
” क्या और तू यहाँ मोबाइल पर बात कर रहा है ” . जल्दी कर गैराज खोल कार निकालनी है ” .
” साहब जी कार तो आया ले गयी है ” .
” तू पागल तो नहीं हो गया है ” मेरे पति चीखे .
ये सब मेरे लिए किसी धमाके से कम नहीं था . आया भला कार चलाना कैसे जान सकती है ? हम दोनों को लग रहा था कि कहीं मेरी बच्ची का अपहरण तो नहीं हो गया कहीं , ऐसा तो नहीं हैल्पर से झूंठ कहा हो और किसी दूसरे के साथ मिलकर अपहरण कर लिया हो . मेरे पति मुझ पर क्रोधित हुए जा रहे थे कि मैंने बिना जाँच पड़ताल के उसे कैसे रख लिया ? मेरा रो रोकर बुरा हाल था . तभी मेरे पति को कुछ ध्यान आया .
” उसके लडके कहाँ हैं ? राकेश भागकर देखकर आ उसके लडके सर्वेंट क्वाटर में हैं भी या नहीं ” . मेरे पति ने लगभग चिल्लाते हुए कहा .
मैं भगवान से मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि उसके लड़के घर पर ही हों . क्रमश ……

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