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कभी महात्मा गाँधी जी को नाथू राम गोडसे ने मारा . क्यों मारा , पता नहीं ? इंदिरा गाँधी को उनके अंगरक्षक बेअंत ने मारा . क्यों मारा , पता नहीं ? कभी फूलन देवी को किसी ने मारा , क्यों मारा , पता नहीं ? राम मन्दिर बाबरी मस्जिद पर इतना बड़ा विवाद हुआ जिसमें हजारों लाखों लोगों की जाने चली गयीं . क्यों हुआ , पता नहीं ? शायद आप लोगों को याद होगा कि आज से पाँच साल पहले लोक सभा के चुनावों में भाजपा कांग्रेस के खिलाफ खूब बढचढ कर बोल रही थी लेकिन जब कांग्रेस ने कंधार कांड का नाम लिया तो उसकी बोलती बंद हो गयी . कंधार कांड में क्या हुआ यह किसी को नहीं मालूम . इन सबकी वजह जनता आज तक नहीं जान पायी क्यों उस वक्त सोशल मीडिया इतनी तरक्की पर नहीं था . जनता जो भी कुछ जानती थी वह अख़बार या टी . वी से जान पाती . आज जब मुजफ्फर नगर में झगड़े हुए तो सोशल मीडिया की वजह से यह बात जनता के सामने आ गयी कि जनता को भडकाने और झगड़े कराने में सबसे बड़ा हाथ इन नेता लोगों का ही है . जब राम मन्दिर मस्जिद के झगड़े हुए तब इन नेताओं ने जनता को धर्म के नाम पर खूब बेवकूफ बनाया . पाँच साल राज करके भी चली गयी न तो इनसे मन्दिर ही बना नहीं कोई फैसला ही लिया गया . जब राम मंदिर का झगड़ा चल रहा था तब उस वक्त मैं अलीगढ़ में ही थी तब एक बात मेरी समझ से परे यह थी कि हमारे हिन्दू मुहल्ले में हिन्दू मुस्लिम लोगों को बचाने में लगे हुए थे और मुस्लिम मुहल्ले में वे हिन्दू लोगों को बचाने में लगे हुए थे फिर ये हिन्दू मुस्लिम आपस में झगड़ क्यों रहे हैं ? लेकिन आज मुज्जफर नगर के झगड़े से सोशल मीडिया के जरिये यह साफ साफ बच्चे बच्चे को भी पता चल गया है कि आखिर इन झगड़ों के पीछे कौन है ? अब जनता के सामने भी सोशल मीडिया की वजह से सभी नेताओं और इन पाखंडी संतों के सच भी सामने आ रहे हैं कि कभी भी बूढ़े संतों पर भी आँख मींचकर भरोसा मत करो . भ्रष्टाचार के खिलाफ , नारी और नाबालिग लडकियों के साथ होते दुष्कर्मों के खिलाफ जनता में बगावत आने लगी तो हमारे प्रधानमन्त्री जी को अपनी सरकार की कुर्सी खिसकती हुई नजर आने लगी तो हमारे देश के प्रधानमन्त्री जी को खलबली मचने लगी और उन्होंने राष्ट्रीय एकता सम्मेलन में सोशल मीडिया को आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया आखिर क्यों ? क्या इसलिए सोशल मीडिया से लोगों में ज्यादा ही जागरूकता आ रही है या इसलिए वे जनता के सामने सच आने से घबरा रहे हैं . प्रधान मंत्री जी से एक सवाल करना चाहूँगीं कि प्रधानमन्त्री जी ने आज तक अश्लील गानों , या फिल्मों में बढती अश्लीलता , टी . वी पर अश्लील विज्ञापनों को और नेट की पोर्न साईट पर रोक लगाने के लिए अब तक क्या कदम उठाये हैं ? जिनकी वजह से युवाओं की भावनायें भडक रही हैं और युवतियों के साथ साथ नाबालिग मासूम कन्याओं के साथ भी दुष्कर्म हो रहे हैं . आजकल तो फिल्मों में सेंसर नाम की भी कोई चीज ही नहीं रही न ही एडल्ट सर्टिफिकेट देने की . अभी तक तो यह समझ आ रहा था कि हमारे देश के प्रधान मंत्री जी गूंगे ही हैं अब यह भी नजर आने लगा है कि वे गूंगे होने के साथ साथ अंधे और बहरे भी हैं जिन्हें समाज में फैली हुई गंदगी नजर आ रही . जिस पर उन्हें रोक लगनी चाहिए उस पर तो रोक लगा नहीं पा रहे हैं . यह तो वही बात हो गयी —-कुम्हारिन पर बस नहीं चला तो गदहिया के ही कान ऐंठ दिए . यानि के जिस चीज पर लगाम लगनी चाहिए उस पर तो लगायी नहीं जा रही और …….
सोशल मीडिया राष्ट्र के हित में है उस पर नियन्त्रण लगाने जैसी कोई जरूरत नहीं है सोशल मीडिया ही है जो नारी को उसके अधिकारों के प्रति जागरूक करता है और जनता में जागरूकता लाता है जिससे इन नेताओं और इन पाखंडी संतो के कुकर्मों के बारे में पता चलता है . सोशल मीडिया की वजह से ही आज का युवा देश की तरक्की में भागीदार बनेगा और हमारे अधिकारों के प्रति जागरूक करेगा .
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