Menu
blogid : 12062 postid : 613074

जिन्दगी एक पहेली – भाग २

Manisha Singh Raghav
Manisha Singh Raghav
  • 66 Posts
  • 89 Comments

प्रिय पाठकों आप सभी को आगे की कहानी पढने की उत्सुकता होगी . अब मैं आगे की कहानी बयाँ करने जा रही हूँ —-
जैसे ही मुझे सीढ़ी पर किसी के कदमों के चढने की आहट आयी , मैंने दौडकर ग्रिल से झाँका तो देखा भैया ( जवान ) के साथ उसका निशा का एक लड़का चला आ रहा है . मेरी थोड़ी जान में जान आई . जब वह ऊपर आया तो मैंने देखा उसके गाल पर थप्पड़ का निशान बना हुआ था शायद भैया ने मेरे पति का गुस्सा उस पर निकाला था .
” तेरी माँ और भाई कहाँ है ” मेरे पति गरजे .
” अंकल मीनू छत से गिर गयी है मेरी मम्मी मेरे भाई मीनू को लेकर मिलिक्ट्री हॉस्पिटल गये हैं उन्होंने मुझे आपको बताने के लिए कहा था . मैं आप ही के आने का इंतजार कर रहा था . ” उसने आँखों में आँसू भरते हुए कहा .
अब मेरे पति का गुस्सा दुःख और चिंता में बदल चुका था . उन्होंने फटाफट स्कूटर निकाला और हम दोनों एम् एच पहुँच गये . वहाँ जाकर पता चला कि मेरी बेटी का आपरेशन चल रहा था . हम जल्दी से आपरेशन थिएटर पहुचे . मेरी निगाह अभी भी हर पार्किग पर अपनी कार को तलाश रही थी . यह सोचकर कि कहीं लड़के ने गलत बताकर बाद में कहीं भाग तो नहीं जाये . मुझे बीच रास्ते में कहीं भी अपनी कार नजर नहीं आ रही थी . मेरी जान सूखी जा रही थी ., जैसे ही हम ओ .टी में पहुँचे तभी मेरी निगाह ओ . टी के बाहर बेचैनी से टहलते हुए निशा पर पड़ी और उसका दूसरा बेटा बैंच पर बैठा हुआ था तब जाकर हम दोनों की सांस में साँस आयी . मैं भागकर उसके पास पहुँची .
” कैसी है मेरी बेटी निशा ” . मैं फफक पड़ी .
” कुछ नहीं होगा मेम साहब मीनू को , भगवान से प्रार्थना करिये सब ठीक हो जाये . ” निशा ने मुझे दिलासा देते हुए कहा .
मुझे एक पल लगा कि मेरे पैरों से किसी ने सारी ताकत खिंच ली है और मैं गिरते गिरते बची तभी मुझे निशा ने पकड़ लिया और बैंच पर बैठाकर पानी लायी . वो एक , एक पल सालों के बराबर निकल रहा था . तभी हमने कर्नल गुप्ता को ओ . टी से बाहर निकलते हुए देखा दौडकर हम उनके पास पहुँचे .
” सर मेरी बेटी कैसी है ” मेरे पति ने अधीरता से पूँछा ?
” आपकी बेटी ” कहते हुए उनके चेहरे पर जाने क्यों आश्चर्य की लकीरें आ गयीं . जिसे हम समझ नहीं पा रहे थे पर पूंछने का यह कोई सही वक्त नहीं था .
” वह अब खतरे से बाहर है छत से गिरने की वजह से सर पर काफी चोट आई है इसलिए आपरेशन करना पड़ा खून भी काफी बह गया है . अगर उसे सही वक्त पर नहीं लाया जाता तो उसका बच पाना मुश्किल था . इस लेडी ने सही समय पर खून देकर उसकी जान बचा ली है . अभी हम एक दो दिन आई सी यू में अंडर ऑब्जरवेशन में रखेंगें फिर वार्ड में शिफ्ट कर देंगें . ” कहकर कर्नल गुप्ता चले गये .
मैं निशा से लिपटकर रो पड़ी धन्यवाद शब्द भी कम पड़ गया .
” निशा मैं तुम्हारा एहसान … ”
” कैसी बात करती हैं मेम साहब जी मीनू जैसे आपकी बेटी वैसे ही मेरी भी एहसान किस बात का बस हमारी मीनू ठीक हो जाये और क्या चाहिए ” .
” चलो मैं तुम दोनों को घर छोडकर आ जाता हूँ तुम दोनों भी थक गयीं होगी ” मेरे पति ने मीनू को देखने के बाद कहा .
” नहीं साहब आप मीनू बेबी के पास रहिये मैं मेम साहब को स्कूटर से घर ले जाती हूँ . मेरा बेटा आप ही के पास रहेगा अगर आप को डाक्टर के पास जाना पड़ जाएँ तब इसे मीनू के पास बैठा दीजिये . ”
निशा ने घर और हास्पिटल का काम बखूबी से सम्भाल लिया . मुझे ड्राइविंग नहीं आती थी वहीँ वह ड्राइविंग में होशियार . मीनू भी धीरे धीरे ठीक हो रही थी . उसे वार्ड में शिफ्ट कर दिया . एक दिन मैं मीनू को सूप पिला रही थी न जाने मेरे पति किस सोच और चिंता में डूबे हुए थे तभी वे झटके से उठे .
” नेहा मैं अभी आता हूँ तुम मीनू को सूप पिलाओ ” वह बहुत ही चिंतित स्वर में बोले .
” क्या हुआ ” मैं उनके पीछे पीछे दौड़ी .
” एक बात बताओ मेरा आइडेंटि कार्ड कहाँ है ”
” क्यों क्या हुआ वह तो ब्रीफकेस में ही रखा रहता है ” .
” एक बात बताओ तुमने कभी निशा के सामने ब्रीफकेस तो नहीं खोला न ”
” अब ये कैसा शक अमित उसने हमारी बेटी की जान बचायी है ”
” हाँ मैं जनता हूँ पर बताओ उसने कहीं ब्रीफकेस का नम्बर तो नहीं देखा ”
” मुझे याद नहीं अमित पर क्या बात हुई ”
” नेहा इसने एम् एच में मीनू को भर्ती कैसे करवा दिया जब कि एम् एच में तो बिना आइ कार्ड के कोई भर्ती नहीं करवा सकता और न ही एडमिट के पेपर्स ही बन सकते हैं . इसका मतलब उसे मेरे ब्रीफकेस का नम्बर पता है और उसे मेरे आइ कार्ड के बारे में कैसे पता कि वह कहाँ रखा हुआ है , उसे ब्रीफकेस का नम्बर कैसे पता आखिर यह है कौन ? नेहा कहीं वह पाक की एजेंट तो नहीं जो हमारा विश्वास जीतने के लिए यह सब कर रही है ”
मैं पागलों की तरह आँखें फाड़े अपने पति का मुँह देख रही थी . समझ ही नहीं आ रहा था क्या कहूँ ? मेरी तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था .
जब मेरी बेटी घर वापस आयी तो दूसरे दिन मेरे पति ने सुबह चाय के वक्त निशा को बुलाया . वे बड़े ही गम्भीर नजर आ रहे थे .
” आप कौन हैं ” मेरे पति ने निशा से सवाल किया ”
निशा ने हैरानी की निगाहों से मेरे पति की तरफ देखा .
” आप खुद बतायेंगीं या मैं बताउं मिसिज नम्रता ”

मिसिज नम्रता हैं या निशा हैं कौन हैं आप ? कितने और नाम हैं आपके ? बताइए न बोलिये कुछ तो बोलिए .
निशा कभी मेरे पति को हैरानी की निगाहों से देखती तो कभी मेरी तरफ——– क्रमश

Read Comments

    Post a comment