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अभी तक की जिन्दगी में सबसे बड़ा बदलाव जो मैंने देखे — वे यह कि आजकल डा . का बेटा डा . , इंजीनियर का बेटा इंजीनियर , बिजनेस मैन का बेटा बिजनेस मैन और किसान का बेटा किसान नहीं बनना चाहता पर जिस खानदान में आज भी लकीर पीटने का चलन है वह है राजनीतिज्ञ के घर में अर्थात अगर बदलाव नहीं आया है तो नेताओं के घर में इसका जीता जागता उदाहरण है —- उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव जी जिन्होंने इंजीनियरिंग करने के बाद भी राजनीति में ही आये जो सबसे बड़ी कुर्सी सम्भाले हुए हैं और दूसरा उदाहरन राहुल गाँधी हैं . बात यहाँ से शुरू होती है फिर भला हम कैसे कह सकते हैं कि लालू प्रसाद यादव के जेल जाने से राजद पार्टी का अंत हो जायेगा . अगर हम पीछे के दौर में जाएँ तो शायद लोगों को याद हो जब लालू प्रसाद यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे तब उन्हें चारा घोटाले के मामले में जेल हुई थी और उस वक्त उनकी सत्ता उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने बखूबी से संभाली थी और आज वे मीडिया के सामने बयान दे रही हैं –” लालू जी जेल से ही अपनी पार्टी चलायेंगें ” फिर अब तो उनके बेटे भी राजनीति में हैं . फिर वे भला अपनी पार्टी को कैसे विलीन होने देंगें ? जनता भी बखूबी से जानती है कि जब पार्टी डूबने वाली होती है या डूब रही होती है तब उनको दूसरी पार्टी सपोर्ट देने के लिए खड़ी हो जाती है .या फिर दूसरी पार्टी के रूप में उभर कर खड़ी हो जाती है . आप सभी को याद होगा कि कभी जनता पार्टी होती थी जब मोरार जी देसाई प्रधान मंत्री थे . सब सोच रहे थे कि अब तो जनता पार्टी का पत्ता ही साफ हो गया लेकिन लोगों की सोच गलत निकली , आज वही पार्टी भाजपा जनता पार्टी के रूप में खड़ी है बस उसका रूप बदल गया है . डूबती नैया को पार लगाने के लिए कोई न कोई नेता उठ खड़ा होता है . जैसे भाजपा की डूबती नैया के मसीहा नरेंद्र मोदी . तभी तो यह कहावत राजनीतिज्ञयों पर चरितार्थ होती है कि —- दादा खरीदे पोता बरते . इसलिए हम कह सकते हैं कि बिहार की राजनीति से राजद का पत्ता साफ नहीं होगा . लालू जी को दूसरी पार्टी से सपोर्ट मिलेगा क्योकि अगर इस वक्त वे सपोर्ट नहीं देंगें तो कल दूसरी पार्टी को वक्त पड़ने पर लालू से सपोर्ट करने की कैसे उम्मीद करेगा ? भैया राजनीति में तो ये भी कहावत चरितार्थ बैठती है कि चोर का भाई गिरह कट .
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