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प्रतिमाओं पर होती सियासत

Manisha Singh Raghav
Manisha Singh Raghav
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पांच साल शासन करने के बाद भाजपा का नाम सत्ता से लगभग विलीन हो गया। भाजपा ने सत्ता में आने के लिए भरपूर जोर लगा दिया हर चुनाव में वह राम मंदिर का राग अलापने लगती पर जब देखा कि जनता पर तो कोई असर ही नहीं हो रहा तब वह थक हारकर चुप बैठ जाती जब थकी हारी भाजपा के पास कोई चारा नहीं रहा तो उसने इस चुनाव में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का उम्मीदवार बनाकर खड़ा कर दिया गुजरात के विकास को देखते हुए उन्हें हाथों हाथ लेना शुरू कर दिया पर अफ़सोस एक कहावत है न — नर भूले नारायण न भूले। लेकिन उन्होंने ने भी जनता की समस्याओं पर ध्यान न देकर फिर से राम मंदिर का राग अलापना शुरू कर दिया जब उन्होंने ने देखा कि जनता पर तो कोई असर ही नहीं हो रहा तो जनता का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए एक और नया शिगूफा छोड़ दिया और वह है — सरदार पटेल की मूर्ति के पीछे पड़ गये। विश्व कि सबसे ऊँची प्रतिमा बनने की बात कहकर जनता को रिझाने में लगे हुए हैं। एक सवाल मेरे मन में उठता है कि भाजपा ने सरदार पटेल को देश के महानायक के रूप में पेश करने का फैसला क्यों लिया ? क्या जरूरत है मोदी जी को गढ़े मुर्दे उखाड़ने की। पहले राम की प्रतिमा पर राजनीति अब सरदार पटेल की प्रतिमा पर। लेकिन सवाल यह उठता है कि भाजपा सरदार पटेल कि मूर्ति खड़ी करवा कर अरबों रूपये खर्च करके जनता का क्या भला करने जा रही है। हमारे देश में प्रतिमाओं की क्या कोई कमी है जो और भी प्रतिमाओं को खड़े करने की जरूरत पड़ गयी। पहले से ही चारों तरफ महात्मा गाँधी , मायावती , हाथियों और काशीराम जी की प्रतिमाएं खड़ी हुई हैं वो किसका भला कर रही हैं ? इतना ही नहीं भाजपा की तर्ज पर शिव सेना भी शिवाजी की प्रतिमा मुंबई में लगाने का राग अलाप रही है। बात घूम फिर कर वहीँ आ जाती है। क्या प्रतिमाएं लगाने से देश की समस्याओं का अंत होगा या भारत की महिलाओं को सुरक्षा मिलेगी , भारत से कुपोषण खत्म हो जायेगा ,या बढ़ती महंगाई पर रोक लग जायेगी जिससे सारी जनता त्रस्त है। पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी.के सिंह ने भी बयान दिया था कि ”सेना में हथियारों की बहुत ज्यादा कमी है ”. पर इस तरफ न तो सरकार ने ही ध्यान दिया न ही किसी भी पार्टी ने ही संसद में इस मुद्दे को उठाया। जिन मुद्दों को हमारी सरकार या अन्य पार्टियों को गम्भीरता से लेना चाहिए वह तो गम्भीरता से ले नहीं रही बल्कि प्रतिमाओं कि सियासत करने के पीछे पड़ी हुई है।
आज जनता कांग्रेस को हटाकर भाजपा को एक मौका देना चाहती है। जनता को भाजपा से बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं इसका फायदा भाजपा को उठाना ही चाहिए। भाजपा को प्रतिमाओं की सियासत करने की बजाय जनता की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। अफसरों में बढ़ते भ्रष्टाचार ,काम के मामले में बढ़ती लापरवाही , बढ़ते अपराध , बढ़ती मंहगाई , नारियों में बढ़ती असुरक्षा या बढ़ते दुष्कर्मों पर रोक लगानी चाहिए जिन मुद्दों को भाजपा को गम्भीरता से लेना चाहिए उन्हें तो गम्भीरता से ले नहीं रही बल्कि प्रतिमाओं पर सियासत करने में लगी हुई है। मोदी जी प्रतिमाओं पर सियासत करके जनता को क्या जताना चाह रहे हैं यही न कि सारी जगहों के नाम गाँधी परिवार के सदस्यों के नाम पर क्यों रखे हुए हैं ? अरे भाई कोई मोदी जी को जाकर यह समझाये कि — नाम वाम में क्या रखा है ? बात प्रतिमाओं के या जगहों के नामों की नहीं बल्कि देश के विकास और जनता की समस्याओं की करें जो अरबों रूपये सरदार पटेल कि प्रतिमाओं पर लगा रही है अगर वही पैसा देश के विकास या जनता की समस्याएं सुलझाने में लगाये तो कुछ बात बने भी भाजपा सालों साल सत्ता में टिक सकती है।
जनता भी आज एक बात अच्छी तरह से जान ले कि इन प्रतिमाओं से आज तक किसी का भला नहीं हुआ है सिर्फ सरकारी धन फिजूल ही में खर्च करने के। इन प्रतिमाओं से आज तक किसी का भला न ही हुआ है न ही होने वाला है जनता की समस्याएं जहाँ की तहां हैं और रहेंगीं उन्हें भाजपा या अन्य पार्टी के रिझाने के चक्कर में नहीं आना चाहिए। हर नेता , राजनेता का काम जनता की सेवा करने और उनकी समस्याओं को सुलझाने का है न कि फिजूल ही में सरकारी खर्च करने और गंदी राजनीति करने का। यह पैसा जिसको वह बेवजह खर्च करती है वह पैसा इनके बाप दादाओं की जागीर नहीं बल्कि वह वो पैसा है जो ये हमसे टैक्स लेती है। क्या अच्छा नहीं होगा कि वह जो पैसा इन प्रतिमाओं पर लगा रही है वही पैसा उन कमियों को दूर करने में लगाये जिनसे भारतीय जनता या हमारा देश जूझ रहा है तो हमारा देश विश्व के अग्रणी देशों में शामिल हो जायेगा।

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