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ये कहाँ आ गए हम

Manisha Singh Raghav
Manisha Singh Raghav
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रवि की सगाई के बाद उसकी शादी की तैयारियाँ जोरों पर थीं पर रवि था उसके चेहरे पर तो शादी के उत्साह की बजाय मुर्दानगी छायी हुई थी । वह बार बार शादी करने के लिए मना कर रहा था क्यों ? इसकी वजह किसी को नहीं बता रहा था । इस न की वजह पता करते करते माँ पिता भी थक गये पर रिजल्ट जीरो का जीरो ही रहा और जब वजह पता चली तो पूरे परिवार को हिला देने के लिए काफी थी , जो माता पिता कब से घर में बहू लाने का सपना देख रहे थे उनका तो रो रोकर बुरा हाल था । रवि समलिंगी था । वह अपने दोस्त राजीव के साथ ही अपना पूरा जीवन बिताना चाहता था ।
आखिरकार क्या हो गया है आज की युवा पीढ़ी को , क्यों अपनी और दूसरे की जिन्दगी बर्बाद करने और विश्व प्रसिद्ध भारतीय संस्क्रति पर दाग लगाने पर तुली हुई है । समलिंगी का मतलब क्या है – समलिंगी का मतलब लडकी लडकी का आपस में शारारिक सम्बन्ध या लडके का लडके से आपस में शारारिक सम्बन्ध होना ही समलिंगी कहलाता है ।
आजकल इसने बड़े शहरों में कुछ ज्यादा ही फैशन का रूप ले लिया है । बस इतना ही फर्क है बड़े शहरों में यह खुले आम होता है और छोटे शहरों में छुपकर । अब सवाल यह उठता है कि यह विदेशी जहर धीरे धीरे भारतीय समाज में फैला कैसे ?
समलिंगी विदेश की उपज है वहाँ इसका कुछ ज्यादा ही चलन है । यह विदेशी जहर हमारे भारतीय समाज में कैसे फैला इसके कारणों पर मैं प्रकाश डाल रही हूँ ।—–
..* जब से भारतीयों के लाइफ स्टाइल में बदलाव आया है या ये कहिए विदेशी संस्क्रति की कुछ ज्यादा ही छाप हमारे भारतीय रहन सहन पर पड़ने लगी है तब से भारतीय अच्छा बुरा सोचे बिना , परिणाम जाने बिना ही विदेशी संस्क्रति की नकल करने में लगे हुए हैं । उनमें से एक समलिंगी भी आता है ।
* दूसरा कारण इंटर नेट आता है – जब से नेट पर फ्री पोर्न साईट शुरू हुई है ,युवा इसकी नकल करने में सबसे आगे हैं और हैरानी की बात यह है कि इसकी गिरफ्त में 12 साल से उपर के बच्चे भी हैं ।
* समलिंगी एक लत की तरह है जैसे आम आदमी को चाय काफी , धूम्रपान , शराब पीने की लत लग जाती है ठीक इसी तरह से इसका भी चस्का लग जाता है ।
* आजकल विदेशों की नकल पर हमारे भारत में भी गे क्लब खुलने लगे हैं । भारतीयों को अपनी तरफ आकर्षित करने में लगे हुए हैं ।
* इसकी सबसे बड़ी वजह है माता पिता का नौकरी पेशे में होना । युवा होते बच्चों का अकेलापन इस तरफ धकेलता है । जब एकल परिवार में वह अपनी माँ का भी साथ नहीं पाता तो वह वक्त बिताने के लिए नेट के जरिए इस रास्ते की तरफ मुड़ जाता है ।
* इसकी सबसे बड़ी वजह है लडके या लडकी का को – एड में पढना । एक उम्र पर आकर युवा होते बच्चों में एक दूसरे की तरफ आकर्षित होना एक कुदरत की देन है चाहे वह लडके और लडके की तरफ हो चाहे लडकी और लडकी की तरफ और यह प्रवर्ति
आज भी भारतीय समाज में व्याप्त है ।भारत में आज भी कन्या इंटर कालिज या लडकों के स्कूल भरे पड़े हैं ।
* इस गंदी प्रवर्ति को भारत में बढ़ने से रोकना ही होगा । यह प्रवर्ति भारतीय सभ्यता पर एक बदनुमा दाग है , बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी गुमराह करता है ।
गे क्लब पर रोक लगनी चाहिए ताकि इस प्रवर्ति पर रोक लग सके ।
नवम्बर के महीने में हनोई और साइगो के गेटा संस्थान में समलिंगी रिश्तों पर हर साल प्रदशर्नी लगती है अगर विदेशी हमारे देश में इस तरह की प्रदशर्नियों को लगाने की बात करते हैं तो इसे रोकने के लिए भारत को जबरदस्त विरोध करना चाहिए ।
समलिंगी की इस प्रवर्ति को माँ पिता या समाज इसे मानसिक विक्रती मान लेते हैं लेकिन एक सच यह है कि यह कोई मानसिक रोग नहीं है । माता पिता को बच्चे में शुरू से ही बिल पावर बढ़ानी चाहिए । इसके लिए माता पिता को मानसिक रोग डाक्टर को मिलाकर सलाह मशवरा करना करना चाहिए जिससे बच्चे की यह लत धीरे धीरे छूट जायेगी ।
माता पिता को अपनी व्यस्त जिन्दगी में से अपने बच्चे को पूरा वक्त देना चाहिए क्योकि यह आदत अकेलेपन की वहज से भी पनप जाती है
जहाँ आजकल नौकरी करना दम्पतियों के लिए वक्त की जरूरत है वहीं कुछ ग्रहणी की सोच होती है अब तो बच्चे बड़े हो गये अब उन्हें हमारी जरूरत नहीं है यह सोच उनकी गलत साबित होती है । युवा होते बच्चों को माँ की सबसे ज्यादा जरूरत 14,15 साल की उम्र से शुरू होती है । इसलिए एक माँ का कर्तव्य है कि वह बड़े होते बच्चों को सहेली बनकर पूरा समय दे ।
समलिंगी एक आदत , एक जनून है ठीक उसी तरह से जिस तरह लड़का लडकी के प्यार में सारी दुनिया भूल जाता है । उनकी सोचने समझने की ताकत नहीं रहती ।ऐसे लोगों से नफरत करने की बजाय या धरती पर बोझ समझने की बजाय उनके साथ सहानुभूति का व्यवहार करना चाहिए ।
समलिंगी व्यक्तियों के लिए एक संदेश और —
इस धरती पर ईश्वर ने केवल मनुष्यों को ही नहीं बल्कि जानवरों में भी नर और मादा इस संसार को चलाने के लिए एक दूसरे के लिए बनाए हैं । ताकि यह संसार निरंतर चलता रहे । जब धरती पर मानव का अस्तित्व नहीं था उस वक्त ईश्वर ने संसार को चलाने के लिए एड्म और ईव्ज बनाए थे न की एड्म , एड्म । अगर धरती पर समलिंगियों को बढ़ावा मिला तो धीरे धीरे इस धरती का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा ।

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